ajab gjab Uttrakhand पाताल भुवनेश्वर इस गुफा के रहस्य जानकर उड जाएंगे होश

 रहस्यमी गुफा को लेकर आपने कई खबरे पढी होगी। आज आपको एक ऎसी गुफा के बारे में बता रहे है जो आपको सोचने पर मजबूर कर दगी। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में गंगोलीहाट कस्बे में बसा है एक रहस्यमयी गुफा। इस गुफा से जु़डी ऎसी मान्यताएं जिनका उल्लेख कई पुराणों में भी किया गया है। इस गुफा के बारे में बताया जाता है कि इसमें दुनिया के समाप्त होने का भी रहस्य छुपा हुआ है। इस गुफा को पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। स्कंद पुराण में इस गुफा के विषय में कहा गया है कि इसमें भगवान शिव का निवास है। सभी देवी-देवता इस गुफा में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। गुफा के अंदर जाने पर आपको इसका कारण भी समझ में आने लगेगा।


गुफा के संकरे रास्ते से जमीन के अंदर आठ से दस फीट नीचे जाने पर गुफा की दीवारों पर कई ऎसी आकृतियां नजर आने लगती हैं जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यह आकृति एक हंस की है जिसके बारे में यह माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी का हंस है। गुफा के अंदर यहां हवन कुंड है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप भष्म हो गए थे। केवल तक्षक नाग ही बच गया जिसने राजा परीक्षित को काटा था। कुंड के पास एक सांप की आकृति जिसे तक्षक नाग कहा जाता है। पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक साथ दर्शन कीजिए चार धामों के। ऎसी मान्यता है कि इस गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ के दर्शन होते हैं। इसे दुर्लभ दर्शन माना जाता है जो किसी अन्यतीर्थ में संभव नहीं होता। गुफा के अंदर आपको 33 करोड देवी देवताओं की आकृति के अलावा शेषनाग का फन नजर आएगा।

इस रहस्यमयी गुफा के बारे में कहा जाता है कि पाण्डवों ने इस गुफा के पास तपस्या की थी। काफी समय तक लोगों की नजरों से दूर रहे इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी। गुफा के अंदर यह है गणेश जी का सिर जो इस कथा की याद दिलाता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया था।

इस गुफा में चार खंभा है जो चार युगों अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग को दर्शाते हैं। इनमें पहले तीन आकारों में कोई परिवर्तन नही होता। जबकि कलियुग का खंभा लम्बाई में अधिक है और इसके ऊपर छत से एक पिंड नीचे लटक रहा है, जिसमें एक गहरा रहस्य छुपा है।

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